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Kushal in his best mood

Thursday, 24 March 2022

कहो या सुनो?

कहने का हक छिनता जा रहा है, इसलिए नहीं की कोई रोक रहा है,इसलिए भी नही कि किसी का डर है बल्कि इसलिए कि अब सुनने वाले नहीं रहे।
सब सुनाने को आतुर हैं, सुनने का वक्त अब किसी के पास नहीं।अगर सुना तो गुनना पड़ेगा और गुना तो कुछ करना पड़ेगा और करना कुछ है नहीं,जैसा बहाव चल रहा है चलते रहने देना है।कोई फेरफार ,कोई रद्दोबदल आपके कीमती समय की बलि ले सकती है , जो कि आपके हक में नहीं होगा। हां सुनाने वाले के हक में हो सकता है,तो फिर बेहतर क्या है?
उसका भला या हमारा?
नया ट्रेंड तो कहता है पहले खुद को खुश रखिए फिर किसी और का सोचिए।
बस तो इसी तरह न कहिए न सुनिए बस ज़िंदगी की भागदौड़ में भागते रहिए,बिना रूके,बिना सुने.....

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